वंदनीय श्रीसद्‌गुरूनाथ दादाजी के कार्य का अल्प परिचय

वंदनीय श्रीसद्‌गुरुनाथ दादा जन्मदिन
तिथी पूस, अमावास्या, दि. ६ फेब्रुवरी, १९२१
वंदनीय श्रीसद्‌गुरुनाथ दादाजी का शुभदिन
तिथी जेठ वद्य, पंचमी, दि. २ जुलै, १९९१

विश्वशांती’ हो ये विश्वनियंताकी इच्छा हे, उसके लिए प्रथम जगत्‌कल्याण होना आवश्यक हे, ओर अगर जगत्‌कल्याण हो, तो मानवकल्याण होनाही अंतर्भूत हे. ये मानव  कल्याण समय समय पर ईश्वर प्रेरणा से जन्म लेने वाले असामान्य मानव के माध्यम से घटित होत है। ऐसा ईश्वरप्रेरित मानवकल्याण का कार्य करने के लिए श्री. दत्तात्रय भास्कर भागवत ऊर्फ  श्री सद्‌गुरुनाथ दादा इनका जन्म पूस अमावास्या, दि. ६ फेब्रुवरी, १९२१ को सातारा यहा पर, परंपरागत दत्तभक्ती में लीन ऐसे भागवत परिवार में हुआ। वंदनीय दादाजी के माध्यम से स्थापित ‘गुरुमार्ग’ ये मानवी जीवन के उध्दारार्थ निर्माण किया हुआ अद्वितीय ऐसा मार्ग है। इस गुरु मार्ग में दत्तपंथ, नाथपंथ, सूफिपंथ इन सभी पंथो के सार हे।

वंदनीय दादाजी के  गुरु ये शिरडी के प्रसिध्द संत जगत्‌गरु  श्री साईनाथ महाराज थे, उनके मार्गदर्शन से वंदनीय दादाजी ने  मानव कल्याण का हे कार्य स्थापित किया।

कार्य में योगदान देनेवाले सभी दिव्यपूण्य विभूतीयोकी श्री साई अध्यात्मिक समिती की निर्मिती १९५६ साल में हुई।

प्रसिध्द सूफिसंत परमपूज्य हाजी मलंगबाबा (कल्याण), परमपूज्य मोहम्मद जिलानीबाबा (बगदाद), परमपूज्य सलिम चिस्तीबाबा (फतेहपूर सिक्री), परमपूज्य अजमेर शरीफबाबा (अजमेर), परमपूज्य ख्वाजा बंदे नवाजबाबा (गुलबर्गा), परमपूज्य कुतुबुद्दीनबाबा (दिल्ली) इन सभी सूफि संतो ने अपना योगदान इस कार्य के लिए दिया है, वैसेही नाथपंथी  श्री गोरक्षनाथ (बत्तिस शिराले), दत्तपंथीय श्री नृसिंहसरस्वती (नरसोबा वाडी) और श्री पंतमहाराज (बाळेकुंद्री) इनका भी इस महान कार्य में सहयोग है।

इस कार्य के दुःख निवार्णार्थ दो महत्वपूर्ण तत्व है :

(१)        दुःख सें ज्यादा दुःख निर्माण करने वाली समस्या को जानकर उसका निर्मूलन होना जरुरी है।

 (२)      जिस तरह ज्ञानअज्ञान से अपने दुःख, हम खुद निर्माण करते हे, उसी प्रकार उस दुःख को दूर करने का ज्ञान भी हमें प्राप्त करना चाहिए।

उपरी तत्वों के  आधार पर वंदनीय दादांजी ने तीन विमोचने सिध्द किए, वो हे वंशविमोचन, कर्मविमोचन, ऋणमोचन। वैसे ही उन्होंने उपासना, नामस्मरण, अनुग्रह, गुरु, कारण ऐसी पाच दिक्षाये सिध्द कि है।

मानव कल्याण  के लिए, उन्होंने श्री शक्तीपीठश्री साई स्वाध्याय मंडल की स्थापना की है।

मानव जीवन के विकास के लिए ॐकार साधना, आरती साधना तथा मुलाखत साधना, जैसे माध्यमों का निर्णाम किया है। कम समय ओर कम खर्चे में भगवान की आराधना करने की पध्दती भी उन्होेंने सूचित कि है। सर्वसामान्य जनों को जो जीवन में जो साध्य करना हे, वो खर्चिक विधी की जगह गुरुकृपार्शिवाद से प्राप्त किया जा सकता है, यह कार्य का एक महत्वका सिध्दांत हैं। अपने प्राप्त ज्ञान और अनुभव के आधारपर दुःख निवारण के लिए ‘कामकाज’ यह साधन, वंदनीय दादाजीने निर्माण किया है।

॥ शुभं भवतु॥
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